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क्या त्वचा पर मोटी, सफ़ेद पपड़ी बनना Psoriasis का शुरुआती संकेत है? आयुर्वेदिक दृष्टि से समझें

Information By Dr. Keshav Chauhan

कई बार आपकी त्वचा धीरे-धीरे एक ऐसा संकेत देना शुरू करती है, जिसे आप शुरुआत में समझ ही नहीं पाते। पहले हल्का रूखापन, फिर थोड़ा लालपन, और अचानक एक दिन आपको वही जगह पर जमी हुई मोटी, सफ़ेद पपड़ी दिखती है। आप सोचते हैं कि शायद मौसम बदल गया है, या शायद आपने कोई गलत क्रीम लगा ली होगी। लेकिन जब यह पपड़ी बार-बार बनने लगे और खुजली या जलन भी साथ दिखे, तो यह सिर्फ़ साधारण त्वचा-समस्या नहीं होती।

बहुत से लोगों की तरह अगर आप भी अपनी त्वचा के इन शुरुआती बदलावों को मामूली समझकर टाल देते हैं, तो समस्या आगे चलकर बढ़ सकती है। सच यह है कि त्वचा हमेशा पहले ही आपको इशारा कर देती है—बस हम उसे ध्यान से सुनते नहीं। यही कारण है कि यह समझना ज़रूरी है कि कहीं यह पपड़ी सोरायसिस का शुरुआती संकेत तो नहीं।

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी त्वचा आपको क्या बताने की कोशिश कर रही है, तो यह ब्लॉग आपके लिए है।

क्या त्वचा पर मोटी, सफ़ेद पपड़ी बनना सोरायसिस का शुरुआती लक्षण हो सकता है?

जब आपकी त्वचा पर बार-बार मोटी, सफ़ेद पपड़ी जमने लगे, तो अक्सर यह एक साधारण रूखापन या मौसम का असर लगता है। कई लोग इसे मामूली खुजली, डैंड्रफ या किसी क्रीम की प्रतिक्रिया समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन अगर यह पपड़ी बार-बार उसी जगह बने, खुजली के साथ आए, या त्वचा लाल-सी दिखे, तो यह सोरायसिस का शुरुआती संकेत भी हो सकता है।

अक्सर शुरुआत बहुत हल्की होती है। आपको लग सकता है कि

  • सिर्फ़ सूखापन बढ़ गया है

  • एक-दो बार खुजलाने के बाद पपड़ी बन गई है

  • मौसम बदलने से त्वचा खराब हो रही है

लेकिन सोरायसिस में जो पपड़ी बनती है, वह साधारण नहीं होती। वह

  • मोटी होती है

  • सफ़ेद या चाँदी-सी दिखती है

  • नीचे की त्वचा लाल या चमकीली लगती है

  • खुजलाने पर और फैल सकती है

आप जब इन्हें हल्के में लेते हैं, तो शुरुआत में पहचान नहीं हो पाती। कई मामलों में यही हल्का-सा स्केलिंग आगे चलकर बड़े चकत्तों में बदल जाता है। इसलिए अगर आपकी त्वचा पर बनने वाली पपड़ी बार-बार हो, मोटी हो, या हल्की खुजली और जलन के साथ आए, तो इसे सामान्य त्वचा-समस्या मानकर टालना ठीक नहीं होता।

Psoriasis क्या होता है और आपकी त्वचा पर यह समस्या कैसे शुरू होती है?

सोरायसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी त्वचा की कोशिकाएँ सामान्य गति से कहीं ज़्यादा तेज़ बनती हैं। सामान्य रूप से आपकी त्वचा एक निश्चित समय में नई परत बनाती है, लेकिन सोरायसिस में यह प्रक्रिया बहुत तेज़ हो जाती है। त्वचा को जितना समय चाहिए, उतना समय नहीं मिलता, और यही कारण है कि पपड़ी मोटी और सफ़ेद दिखने लगती है।

यह एक प्रकार की प्रतिरक्षा-सम्बन्धी गड़बड़ी होती है। सरल शब्दों में, आपके शरीर की सुरक्षा प्रणाली कभी-कभी भ्रमित हो जाती है। यह शरीर को बचाने के बजाय त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुँचाने लगती है। इससे त्वचा पर सूजन बढ़ती है और कोशिकाएँ तेजी से इकट्ठी होने लगती हैं।

आप इसे ऐसे समझें जैसे आपकी त्वचा को धीरे-धीरे नई परत बनानी चाहिए, लेकिन कोई उसे लगातार “जल्दी करो” का आदेश दे रहा हो। नतीजा यह होता है कि नई परतें बनती जाती हैं, लेकिन पुरानी परतें ठीक से हट नहीं पातीं। यह जमा हुआ हिस्सा ही वह सफ़ेद और मोटी पपड़ी बनता है जिसे आप देखते हैं।

शुरुआत में यह हल्के दानों, लाल बिंदुओं या रूखेपन जैसा दिख सकता है। बाद में यही लाल-से चकत्ते बड़े होते जाते हैं, उन पर सफ़ेद पपड़ी जमती जाती है, और खुजली-जलन बढ़ने लगती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह छूत की बीमारी नहीं है। यानी यह किसी को छूने या साथ रहने से नहीं फैलती।

अगर आप इसे समय रहते पहचान लें, तो इसके बढ़ने को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

सोरायसिस में सफ़ेद पपड़ी और मोटी त्वचा क्यों बनती है?

सोरायसिस में जो सफ़ेद पपड़ी बनती है, उसका मुख्य कारण त्वचा की परतों का तेज़ी से जमा होना है। जब कोशिकाएँ बहुत जल्दी बनने लगती हैं, तो वे ठीक से परिपक्व नहीं हो पातीं। धीरे-धीरे ये परतें जमा होकर ऊपर की सतह को मोटा बना देती हैं। यही मोटी परत पपड़ी के रूप में दिखने लगती है।

इस प्रक्रिया में कई बदलाव एक साथ दिखाई देते हैं:

  • त्वचा लाल पड़ने लगती है

  • ऊपर सफ़ेद या चाँदी-सी पपड़ी बनती है

  • जगह-जगह सूजन महसूस हो सकती है

  • खुजलाने पर पपड़ी टूटकर गिरती है

  • बार-बार खुजलाने पर दर्द या हल्का खून भी आ सकता है

मोटी पपड़ी इसलिए बनती है, क्योंकि त्वचा को पुरानी परत हटाने का समय ही नहीं मिलता। नई परतें लगातार बनती रहती हैं और ऊपर जमा होती जाती हैं।

खुजली और जलन इसलिए महसूस होती है, क्योंकि जगह-जगह सूजन बढ़ रही होती है। नीचे की त्वचा पर जब अतिरिक्त दबाव पड़ता है, तो वह संवेदनशील हो जाती है। यही कारण है कि कई लोगों को पपड़ी के साथ जलन, चुभन या कसाव-सा भी महसूस होता है।

लालपन इसलिए होता है, क्योंकि त्वचा के भीतर सूजन बढ़ने पर रक्त का प्रवाह तेज़ हो जाता है। इस तरह पपड़ी, लालपन और खुजली – तीनों एक साथ दिखाई देती हैं।

अगर यह सब बार-बार, एक ही जगह या शरीर के कई हिस्सों में होने लगे, तो यह सिर्फ़ साधारण त्वचा-समस्या नहीं होती। ऐसे समय पर आपको यह समझना ज़रूरी है कि आपकी त्वचा शायद एक गंभीर संकेत दे रही है, जिसे ध्यान से समझना चाहिए।

आपके शरीर के कौन-से हिस्सों पर सोरायसिस की मोटी पपड़ी ज़्यादा दिखती है?

सोरायसिस का सबसे बड़ा संकेत यह है कि इसकी पपड़ी शरीर पर एक जैसी नहीं दिखती, लेकिन कुछ जगहों पर यह सबसे पहले और सबसे ज़्यादा नज़र आती है। अगर आपकी त्वचा पर बार-बार जमी हुई सफ़ेद पपड़ी इन्हीं जगहों पर दिख रही है, तो यह पहचानने में आसान हो जाता है कि समस्या सिर्फ़ रूखापन नहीं, बल्कि सोरायसिस से जुड़ी हो सकती है।

आमतौर पर यह मोटी पपड़ी इन हिस्सों पर ज़्यादा दिखाई देती है:

  • कोहनॶ – यहाँ त्वचा मोटी होती है और घर्षण ज़्यादा होता है, इसलिए पपड़ी जल्दी जमने लगती है।

  • घुटने – घुटनों पर भी वही सूखापन, लालपन और सफ़ेद पपड़ी अक्सर दिखाई देती है।

  • स्कैल्प – सिर की त्वचा पर बनी सफ़ेद मोटी परत को कई लोग डैंड्रफ समझ लेते हैं, लेकिन अगर यह लगातार मोटी होती जाए और खुजली के साथ आए, तो यह सोरायसिस हो सकता है।

  • पीठ – पीठ पर दिखने वाली पपड़ी अक्सर बड़े चकत्तों में बदल सकती है।

  • हथेलियाँ और तलवे – यहाँ लाल, खुरदुरी और पपड़ीदार त्वचा दिखना भी एक संकेत है।

इसके अलावा, सोरायसिस केवल त्वचा तक सीमित नहीं रहता। यह नाखूनों में भी दिख सकता है, जहाँ वे टूटने लगते हैं, गड्ढे बनते हैं या रंग बदलने लगता है। कुछ लोगों में यह जोड़ों में दर्द और सूजन भी पैदा कर सकता है, जिसे लोग सामान्य जोड़ का दर्द समझ लेते हैं।

अगर आपकी पपड़ी इन खास जगहों पर बार-बार नज़र आती है, एक ही जगह टिकती है, या आपको लगातार खुजली और जलन महसूस होती है, तो इसे हल्के में लेना ठीक नहीं है। सही समय पर पहचान करने से आप इसे बढ़ने से रोक सकते हैं।

क्या तनाव, चोट या दवाइयाँ भी सोरायसिस और पपड़ी को बढ़ा सकती हैं?

कई बार सोरायसिस की शुरुआत सिर्फ़ त्वचा से नहीं होती। आपके शरीर और जीवन से जुड़े कई कारण इसे बढ़ा सकते हैं, और यह सब बिना आपकी जानकारी के धीरे-धीरे असर दिखाने लगता है।

सबसे पहले बात करते हैं कुछ आम कारणों की, जो आपके सोरायसिस को भड़का सकते हैं:

  • तनाव – अगर आप लगातार तनाव में रहते हैं, ठीक से नींद नहीं लेते या मन हमेशा भारी-सा लगता है, तो यह आपकी त्वचा पर सीधे असर डालता है। तनाव आपके शरीर में सूजन बढ़ाता है, जिससे पपड़ी और लालपन बढ़ सकता है।

  • त्वचा पर चोट – एक छोटा-सा कट, जलना, खरोंच या यहाँ तक कि मच्छर का काटना भी कुछ लोगों में सोरायसिस को शुरू कर सकता है।

  • संक्रमण – गले का संक्रमण, वायरल बीमारी या शरीर में सूजन बढ़ाने वाली कोई भी समस्या सोरायसिस को ट्रिगर कर सकती है।

  • दवाइयाँ – कुछ दवाइयाँ, खासकर रक्तचाप की दवाइयाँ या स्टेरॉयड, कुछ लोगों में सोरायसिस को बढ़ा सकती हैं।

  • विटामिन डी की कमी – पर्याप्त धूप न मिलना या शरीर में विटामिन डी की कमी भी त्वचा की सेहत को प्रभावित करती है।

इसके अलावा, यदि आपके परिवार में किसी को सोरायसिस है, तो आपके लिए इसकी संभावना थोड़ा बढ़ जाती है। यह कहना ज़रूरी है कि इसका मतलब यह नहीं कि आपको यह बीमारी ज़रूर होगी, लेकिन आपको अपनी त्वचा के संकेतों पर और ध्यान देना चाहिए।

लाइफस्टाइल का भी बड़ा प्रभाव होता है। धूम्रपान, शराब, असंतुलित भोजन, दिनचर्या में अव्यवस्था — ये सब त्वचा की सूजन बढ़ा सकते हैं, जिससे पपड़ी और खराब होती है।

अगर आपको लगता है कि आपकी पपड़ी किसी तनावपूर्ण अवधि, किसी चोट या किसी दवा शुरू करने के बाद बढ़ी है, तो यह संकेत है कि आपको अपनी त्वचा की स्थिति को गंभीरता से देखना चाहिए।

आयुर्वेद सोरायसिस और सफ़ेद पपड़ी बनने को कैसे समझाता है?

आयुर्वेद में सोरायसिस को कुष्ठ रोग की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि यह सिर्फ़ त्वचा का रोग नहीं है, बल्कि शरीर के भीतर गहराई में चल रहे असंतुलन का परिणाम है। आयुर्वेद के अनुसार आपकी त्वचा तभी स्वस्थ रहती है जब आपके शरीर के तीनों दोष — वात, पित्त और कफ — संतुलित हों।

सोरायसिस में यह संतुलन बिगड़ जाता है।

  • पित्त दोष बढ़ने से शरीर में गर्मी और सूजन बढ़ती है, जो लाल चकत्तों और जलन का कारण बनता है।

  • कफ दोष बढ़ने से त्वचा मोटी होने लगती है और सफ़ेद पपड़ी जमती है।

  • वात दोष बढ़ने से त्वचा में रूखापन और दरारें आती हैं।

इन तीनों दोषों का असंतुलन एक साथ काम करता है, इसलिए आपको पपड़ी, खुजली, सूखापन और लालपन – सब कुछ एक साथ दिखाई देता है।

आयुर्वेद में एक और महत्वपूर्ण कारण बताया गया है — आम। आम का मतलब शरीर में जमा हुआ वह अधपचा भोजन या विषैला पदार्थ है, जो पाचन बिगड़ने से बनता है। जब यह आम खून में मिल जाता है, तो खून दूषित हो जाता है, और वही दूषित खून त्वचा में समस्या पैदा करता है।

यही कारण है कि आयुर्वेद सोरायसिस में सिर्फ़ ऊपर की पपड़ी को हटाने पर ध्यान नहीं देता। यह शरीर के भीतर जमा आम को साफ़ करने, दोषों को संतुलित करने और खून को शुद्ध करने पर काम करता है। इससे न सिर्फ़ पपड़ी में राहत मिलती है, बल्कि त्वचा की सेहत भी लंबे समय तक ठीक रहती है।

सोरायसिस में कौन-से आयुर्वेदिक उपचार सफ़ेद पपड़ी और सूखापन कम कर सकते हैं?

सोरायसिस में आयुर्वेद सिर्फ़ ऊपर की पपड़ी को हटाने पर ध्यान नहीं देता। इसका लक्ष्य शरीर के भीतर जमा विषैले तत्वों को साफ़ करना, दोषों को संतुलित करना और त्वचा को स्वाभाविक रूप से शांत करना होता है। अगर आपकी त्वचा पर मोटी पपड़ी बार-बार बन रही है, तो आयुर्वेदिक उपचार आपको अंदर और बाहर दोनों तरह से राहत दे सकते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं पंचकर्म की। यह शरीर की गहरी सफ़ाई करने वाला उपचार है, लेकिन इसे बिल्कुल सरल शब्दों में ऐसे समझें:

  • वमन – शरीर के ऊपर की ओर जमा कफ और गंदगी को निकालने की प्रक्रिया।

  • विरेचन – पेट की सफ़ाई करने वाला उपचार, जिससे पित्त और गर्मी कम होती है।

  • रक्तमोक्षण – दूषित खून को निकालकर त्वचा की सूजन कम करने में मदद करता है।

इन उपचारों का उद्देश्य आपके शरीर के भीतर पड़ी वह गंदगी (आम) निकालना है, जो त्वचा पर लाल चकत्तों और पपड़ी का कारण बनती है। पंचकर्म हमेशा विशेषज्ञ की देखरेख में ही कराया जाना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति की शरीर-स्थिति अलग होती है।

आयुर्वेद में कई औषधियाँ भी हैं जो त्वचा को शांत करती हैं और पपड़ी को कम करती हैं, जैसे:

  • नीम – इसके पत्ते और तेल दोनों ही त्वचा की सूजन कम करने में मदद करते हैं।

  • हल्दॶ – इसमें प्राकृतिक सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो लालपन और जलन को शांत करते हैं।

  • एलोवेरा – इसका ताज़ा गूदा त्वचा को ठंडक देता है और खुजली में राहत पहुँचाता है।

  • गंधक – यह त्वचा को साफ़ करने और रूखेपन को कम करने में सहायक होता है।

इनका उपयोग करते समय हमेशा ध्यान रखें कि हर व्यक्ति की त्वचा अलग होती है। इसलिए किसी भी औषधि या लेप का उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना सुरक्षित होता है। इससे आप गलत तरीके से इस्तेमाल करने से होने वाली जलन या नुकसान से बच सकते हैं।

क्या घर पर किए जाने वाले आयुर्वेदिक उपाय सोरायसिस में राहत दे सकते हैं?

अगर आपकी पपड़ी अभी शुरुआत में है और बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ी है, तो कुछ सरल घरेलू उपाय आपको राहत दे सकते हैं। ये उपाय त्वचा को नम रखते हैं, सूखापन कम करते हैं और खुजली को शांत करते हैं।

  • नीम का तेल – इसे हल्का गुनगुना करके पपड़ी वाली जगह पर रात में लगाएँ। नीम त्वचा को साफ़ करने और खुजली कम करने में मदद करता है।

  • एलोवेरा का ताज़ा गूदा – इसे सीधे त्वचा पर लगाएँ और आधे घंटे तक लगा रहने दें। यह त्वचा को ठंडक देता है और सूजन कम करता है।

  • ओटमील स्नान – अगर पपड़ी शरीर पर फैली हो, तो नहाने के पानी में ओटमील डालकर 15–20 मिनट बैठने से खुजली और जलन कम हो सकती है।

  • नारियल तेल – यह त्वचा को अंदर तक नमी देता है और पपड़ी को नरम करता है।

इनके साथ-साथ कुछ जीवनशैली की आदतें भी आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती हैं:

  • तनाव कम करें – ध्यान, गहरी साँस या हल्का योग मन को शांत करते हैं और सोरायसिस के लक्षणों को बढ़ने से रोकते हैं।

  • थोड़ी धूप लें – सुबह की हल्की धूप शरीर में विटामिन डी बढ़ाती है, जो आपकी त्वचा की सेहत के लिए ज़रूरी है।

  • पर्याप्त पानी पिएँ – शरीर में पानी की कमी होने से पपड़ी और रूखापन बढ़ जाता है।

  • पूरी नींद लें – नींद पूरी होने से शरीर की मरम्मत प्रक्रिया बेहतर होती है।

अगर आप इन उपायों को नियमित रूप से अपनाएँ, तो शुरुआती पपड़ी में अच्छा सुधार देखा जा सकता है। लेकिन अगर पपड़ी फैल रही हो या कई जगहों पर लगातार दिख रही हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे सही कदम होता है।

सोरायसिस को बढ़ने से रोकने के लिए आपको क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

अगर आप चाहते हैं कि सोरायसिस की पपड़ी बढ़े नहीं, तो कुछ रोज़मर्रा की सावधानियाँ बहुत मदद कर सकती हैं। यह बदलाव छोटे लगते हैं, लेकिन आपकी त्वचा को लगातार राहत देते हैं।

सबसे पहले अपनी त्वचा की देखभाल पर ध्यान दें:

  • त्वचा को हमेशा नम रखें। नहाने के बाद तुरंत तेल या मॉइश्चराइज़र लगाएँ।

  • बहुत गरम पानी से न नहाएँ, इससे त्वचा और ज़्यादा सूख सकती है।

दूसरा, त्वचा को चोट से बचाएँ। छोटी-सी खरोंच या कट भी सोरायसिस को बढ़ा सकता है। नाखूनों से खुजलाने से बचें और त्वचा पर तेज़ रगड़ न करें।

तीसरा, अपनी लाइफस्टाइल में सुधार लाएँ:

  • धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएँ, क्योंकि ये दोनों शरीर की सूजन बढ़ाते हैं।

  • तली-मीठी या बहुत मसालेदार चीज़ें कम करें, क्योंकि ये आपकी त्वचा को और चिढ़ा सकती हैं।

  • ताज़ी सब्ज़ियाँ, फल और हल्का भोजन आपकी त्वचा के लिए बेहतर होता है।

अंत में, नियमित योग और प्राणायाम अपनाएँ। यह न सिर्फ़ तनाव कम करता है, बल्कि शरीर में ऊर्जा और संतुलन भी लाता है। जब आपका मन शांत होता है, तो आपकी त्वचा भी बेहतर प्रतिक्रिया देती है।

निष्कर्ष

जब आपकी त्वचा बार-बार मोटी, सफ़ेद पपड़ी बनाकर आपको संकेत देती है, तो उसे नज़रअंदाज़ करना ठीक नहीं होता। शुरुआत में यह रूखापन या मौसम का असर लग सकता है, लेकिन समय रहते समझ लिया जाए, तो सोरायसिस को काफ़ी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। आपकी त्वचा हमेशा आपको बताती है कि उसके भीतर क्या चल रहा है, बस आपको उसके बदलते संकेतों को थोड़ा ध्यान से सुनना होता है।

आयुर्वेद का दृष्टिकोण यही है कि समस्या को बाहर से नहीं, भीतर से समझा जाए। जब आप दोषों को संतुलित करते हैं, तनाव कम करते हैं और अपनी त्वचा की दिनचर्या को सही रखते हैं, तो पपड़ी, खुजली और सूखापन धीरे-धीरे शांत होने लगता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि हर त्वचा अलग होती है, इसलिए सही मार्गदर्शन मिलना ज़रूरी है।

अगर आप भी सोरायसिस या किसी भी त्वचा संबंधी स्थिति से परेशान हैं, तो हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से आज ही व्यक्तिगत परामर्श लें। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. सोरायसिस के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

शुरुआत में आपकी त्वचा लाल-सी दिखती है, हल्की खुजली होती है और छोटी सफ़ेद पपड़ी बनती है। अगर यह बार-बार हो, तो इसे हल्के में न लें।

  1. कैसे पता चलेगा कि आपको सोरायसिस है?

अगर आपकी त्वचा पर मोटी, सफ़ेद पपड़ी बने, नीचे लालपन दिखे और वही जगह बार-बार सूखे या खुजली करे, तो यह सोरायसिस का संकेत हो सकता है।

  1. सोरायसिस का आयुर्वेद में क्या इलाज है?

आयुर्वेद में इलाज शरीर की सफ़ाई, दोषों के संतुलन और त्वचा को शांत करने पर आधारित होता है। पंचकर्म, नीम, हल्दॶ, एलोवेरा जैसे उपाय इसमें सहायक होते हैं।

  1. क्या सोरायसिस सिर्फ़ सर्दियों में ही बढ़ता है?

सर्दियों में सूखापन बढ़ने से पपड़ी ज़्यादा दिखती है, लेकिन तनाव, चोट, धूप की कमी और दवाएँ भी इसे किसी भी मौसम में बढ़ा सकती हैं।

  1. क्या बार-बार खुजलाने से सोरायसिस फैल सकता है?

हाँ, ज़्यादा खुजलाने से पपड़ी बढ़ सकती है और नई जगहों पर लालपन या सूजन आ सकती है। त्वचा को नुकसान पहुँचने से स्थिति और खराब होती है।

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