एड्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण अन्य संक्रमण जैसे सर्दी, खांसी, टी.बी. इत्यादि रोग आसानी से हो जाते हैं और इनका इलाज करना भी कठिन हो जाता है।
कैसे होता है एड्स
एड्स....एच.आई.वी विषाणु के संक्रमण से होता है। एच.आई.वी यानि ऐसा विषाणु जो रोगों से लड़ने की शक्ति को कम कर देता है। ये इंफैक्शन संक्रमित व्यक्ति के खून, असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई के प्रयोग व गर्भ में पल रहे बच्चे को मां से हो सकता है।
एड्स व एच.आई.वी में अंतर
एच.आई.वी संक्रमण का मतलब है...एड्स वायरस का शरीर में प्रवेश कर जाना। एच.आई.वी संक्रमण होने के बाद एड्स की स्थिति तक पहुंचने में और लक्षण दिखने में कुछ महीनों से दस साल या उससे अधिक समय भी लग जाता है जिस कारण कई सालों तक रोगी को ये पता ही नहीं चलता कि वो एच.आई.वी संक्रमित है। एच.आई.वी संक्रमण होने के बाद जब किसी व्यक्ति की रोग प्रतिकार शक्ति क्षीण हो जाती है और वह कई रोगों से पीड़ित होने लग जाता है, उस स्थिति को एड्स कहते हैं।
लक्षण
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बार-बार बुखार आना
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तनाव/थकान
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मांसपेशियों में खिचाव
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जोड़ों में दर्द व सूजन
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सिर दर्द
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वजन गिरना
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रैशिज़
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सर्दॶ-ज़ुकाम
आयुर्वेदिक नज़रिया
शरीर की ऊर्जा व बल बढ़ाने वाले पदार्थ को ओज कहते हैं। इसके ही कारण मनुष्य सभी प्रकार के कार्य करने में समर्थ होता है। ओज सप्तधातुओं का उत्कृष्ट सार भाग है। जिस प्रकार मधुमक्खियों द्वारा फूलों से एकत्रित किए गए रस से शहद का निर्माण होता है, उसी प्रकार रस-रक्तादि धातुओं के निर्माण के समय उत्पन्न सारभूत भाग से ओज का निर्माण होता है। बेशक आयुर्वेद में एड्स नाम से किसी बीमारी का वर्णन नहीं लेकिन आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार ओज का क्षय ही एड्स का कारण है। चरक संहिता में ओज का वर्णन किया गया है। इस ओजक्षय के कारण मनुष्य की इंद्रियों की कार्यक्षमता घट जाती है जिससे वह निस्तेज व बलहीन हो जाता है। ओज का क्षय अधिक होने पर व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।
कैसे करें बचाव
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साथी से वफादार रहें। अगर किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने भी हों तो हमेशा कंडोम का प्रयोग करना चाहिए।
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इंजैक्शन लगवाते वक्त नई सीरिंज का इस्तेमाल करें।
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शेविंग आदि के लिए नए ब्लेड का इस्तेमाल करें।
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अगर अस्पताल में खून चढ़वाने की ज़रूरत पड़ जाए तो पहले पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि खून एच.आई.वी संक्रमित या एड्स जैसे रोग से ग्रस्त न हो।