गुदा क्षेत्र में तनाव और दबाव के कारण नसें सूजन से फूल जाती है, जिसकी वजह से बैठने और लेटने मे तकलीफ होने लगती है। ज्यादा वजन उठाना, बुढ़ापा, गर्भावस्था, खराब जीवनशैली, दस्त व कब्ज कुछ ऐसे कारण हैं, जिसकी वजह आपको पाइल्स हो सकता है।
आयुर्वेद की भाषा में बवासॶर को अर्श (या शत्रु) कहा जाता है, जो कि त्रिदोषों में असंतुलन पैदा करता है। यह खाने की अनुचित आदतों की वजह से होता है। अत्यधिक जंक फ़ूड, तैलीय या तला-भुना खाना और मसालेदार भोज्य पदार्थ इसके मुख्य कारण हैं। ज्यादा वजन उठाने या गर्म मौसम से भी यह हो सकता है। यह सभी कारण आपके पाचन तंत्र को कमजोर बनाते हैं और अंत मे गुदा के आस-पास की कोशिकाओं को बढ़ा देते हैं, जिसके कारण हेमोर्रोइड्स बन जाते हैं।
आयुर्वेद में दिए गये कुछ नुस्खे इस्तेमाल करके आप बवासॶर से हमेशा के लिए मुक्ति पा सकते हैं -
बवासॶर से राहत के लिए क्या अवश्य करें?
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फाइबर से भरपूर आहार या वह स्थूलखाद्य लें जो कि भोजन को आँतों तक पहुंचाने में मदद करे। फाइबर से भरपूर आहार मल को मुलायम कर कब्ज से राहत देता है और बवासॶर की वजह से होने वाले दर्द को कम करता है।
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तरल पदार्थों का सेवन करें। भरपूर मात्रा में पानी पीने से आपके शरीर को तरल की सही आपूर्ति होती रहती है, जिससे निर्जलीकरण - और फलस्वरूप, कब्ज - नहीं होता।
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चूँकि मोटे लोगों में पाइल्स होने की सम्भावना ज्यादा होती है, वजन कम करने से भी आपको इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
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गर्म पानी से स्नान करें। इससे आपको खुजली और दर्द से आराम मिलेगा।
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कसरत या अन्य शारीरिक गतिविधियाँ स्वस्थ रहने के लिए अत्यन्त जरूरी हैं, यह खाना पचाने में आँतों की मदद करके कब्ज को आपसे दूर रखती है।
बवासॶर से राहत के लिए क्या बिल्कुल ना करें?
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टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक न बैठें, इससे गुदा क्षेत्र में दवाब पड़ता है।
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भारी वजन उठाने से बचें।
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अगर आपको कब्ज है, तो उसका जल्द ही इलाज कराएँ, क्योंकि इसी से गुदा क्षेत्र में तनाव और बवासॶर होने की संभावना बढ़ती है।
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अगर आप एक ही जगह बैठने वाला कोई कार्य करते हैं, तो ज्यादा लगातार बैठने के बजाय बीच-बीच में थोड़ा चल-फिर लें। लगातार बैठे रहने से शरीर के निचली हिस्से में जोर पड़ता है।
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लैक्सेटिव्स और एनिमा के अधिक इस्तेमाल से बचें। ज्यादा दवाइयों से भी परहेज करें।

