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बवासॶर को काबू में करने के इन तीन दोषों को करें काबू

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जब गुदा नलिका के आस-पास की रक्त कोशिकाओं में सूजन जाती है, वह बवासॶर का रूप ले लेती हैं। किसी भी कारण से अगर इस क्षेत्र में तनाव उत्पन्न होता है, तो वहाँ सूजन आ जाती है और हेमोर्रोइड्स (बवासॶर) हो जाते हैं। मोटापा, गर्भवस्था, कब्ज, खराब या आलस्य से भरी जीवन शैली इसके कुछ कारण हैं।

बवासॶर (पाइल्स) के लक्षण:

  • मल के साथ रक्त स्राव।

  • गुदा क्षेत्र में जलन और खुजली।

  • गुदा क्षेत्र में दर्द और तकलीफ।

  • रेक्टम (मलाशय) में भरापन महसूस होना।

आयुर्वेद और बवासॶर:

आयुर्वेद बवासॶर को अर्श, यानि दुश्मन मानता है। यह तीन दोषों के असंतुलन के कारण होता है। इन तीन दोषों का नाम है - वात, पित्त, और कफ। यह तीन प्रकार की शक्तियाँ हर मनुष्य में होती हैं और यही आपको स्वस्थ और बीमार करने के लिए जिम्मेदार हैं। इन तीनों के संतुलन से आप स्वस्थ व असंतुलन से बीमार हो जाएँगे।

वात आपकी गति (शरीर के अंदर) का नियंत्रण करता है। अगर यह असंतुलित हो जाए, तो तंत्रिका तंत्र गड़बड़ा जाता है, रक्त व भोजन इत्यादि का संचरण ठीक से नहीं होता, शौच का समय अनियमित हो जाता है और स्मरण शक्ति भी कम हो सकती है।

पित्त शरीर में ऊर्जा, गर्मी व परिवर्तन को संतुलित रखता है। इसका असंतुलित होना असंतोष, गर्म-मिजाजी, सूजन और अन्य पाचन सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकता है ।

कफ शरीर की संरचना, विकास और आंतरिक अंगों में चिकनाहट बनाये रखने से संबंधित आवश्यकताओं को देखता और इसका असंतुलन वजन बढ़ना, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना, रक्त के थक्कों का बनना जैसी परिस्थितियों को उत्पन्न कर सकता है।

इन तीन ऊर्जाओं का असंतुलन पूर्णतया हमारे खान-पान, मौसम, जीवनशैली और भावनाओं पर निर्भर करता है। इन सबमें अच्छा परिवर्तन ही आपके जीवन को संतुलित व स्वस्थ रखता है।

इन तीनों ऊर्जाओं को नियंत्रण में कैसे रखें?

बवासॶर को दूर रखने और इन तीन ऊर्जाओं में सामंजस्य बनाये रखना बेहद आवश्यक है। कुछ बुनियादी बातों को सीखकर आप ऐसा आसानी से कर सकते हैं:

फाइबर्स से समृद्ध आहार:

फाइबर से भरपूर आहार मल की गति को ठीक रखता है और आँतों को भी साफ़ रखता है। यह मल में मिलकर उसे मुलायम कर देता है, जिससे आपको कोई तकलीफ न हो। इसी वजह से, ऐसा भोजन करके आपको कब्ज और बवासॶर (पाइल्स) दोनों ही नहीं होते हैं। फल, कच्ची सब्जियाँ, सेम, मसूर, शलजम, मूली इत्यादि फाइबर युक्त भोजन के कुछ उदाहरण हैं।

तरल पदार्थों का ज्यादा सेवन करना:

अच्छी मात्रा में तरल पदार्थ लेने से खाना आँतों में अच्छे पहुँच जाता है और इसे पचाने में भी आसानी रहती है। इस प्रकार तरल कब्ज और बवासॶर को दूर रखने में मदद करता है। पानी, सब्जियों और फलों के जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन करके आप अपने शरीर में द्रव की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं।

शारीरिक क्रिया:

शारीरिक क्रिया और कुछ प्रकार के व्यायामों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपका मन और मस्तिष्क शांत रहेगा तथा मल-संचार भी अच्छा रहेगा। भारी वजन ना उठाएँ, क्योंकि इससे शरीर में तनाव बढ़ता है और साथ ही - बवासॶर का खतरा भी। योगासानों, तेज़ या धीमी गति में टहलने से आपको लाभ हो सकता है। ऊपर दिए गए कुछ सरल उपायों से आप तीनों दोषों को संतुलन में रख सकते हैं और अर्श (बवासॶर या पाइल्स) को दूर रख सकते हैं।

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